शिव चालीसा: शिव के अनंत आशीर्वाद का स्रोत
भगवान शिव, संसार के प्राचीन देवताओं में से एक हैं, जिनका भक्ति और पूजन श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। शिव चालीसा एक ऐसा पाठ है जिसमें भगवान शिव की स्तुति की गई है, और इसका पाठ शिव भक्ति में अनुष्ठान किया जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शिव चालीसा के महत्वपूर्ण अंशों के साथ इसके अर्थ की चर्चा करेंगे।
शिव चालीसा:
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
शिव चालीसा का महत्व:
- भगवान शिव की स्तुति: शिव चालीसा एक प्रमुख उपासना है जिसमें भगवान शिव की कल्याणकारी गुणों की महिमा की जाती है। यह पाठ भक्तों को भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा में बढ़ावा करने में मदद करता है।
- आशीर्वाद की प्राप्ति: शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान शिव के आशीर्वाद का अधिकार होता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से साधक अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आनंद लेता है।
शिव चालीसा का अर्थ:
शिव चालीसा के प्रति श्लोक में गोधूलिका गिता के साथ इसका विस्तार दिया गया है, जो मुख्यतः संस्कृत में हैं। इसमें भगवान शिव के विभिन्न नामों और गुणों की स्तुति है, जिससे भक्तों को उनके अद्भुत स्वरूप का अनुभव होता है।
शिव चालीसा का प्रारंभ एक श्लोक से होता है जो इस प्रकार है:
“श्री गणेशाय नमः”
इसके बाद, चालीसा में भगवान शिव की सभी कल्याणकारी गुणों की चर्चा होती है, जो उन्हें सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ बनाता है।
चालीसा के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक:
- शिवाय नमः: इस श्लोक में भगवान शिव के नामों का स्मरण करने से भक्त उनके प्रति भक्ति में रूचि रखता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है।
- शिव चालीसा महिमा: यह श्लोक शिव चालीसा की महिमा का वर्णन करता है और इसके पाठ से कई धर्मिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
समापन:
इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हमने शिव चालीसा के महत्वपूर्ण अंशों के साथ इसके अर्थ की छवि प्रस्तुत की है। शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को शिव के अनंत आशीर्वाद का अनुभव होता है और वे अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलते हैं।
इस पाठ को अपने दिनचर्या में शामिल करके हम भगवान शिव की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं और उनके दिव्य गुणों का अनुष्ठान करके अपने जीवन को समृद्धि से भर सकते हैं।